पतंजलि योगपीठ एवं भारत स्वाभिमान : कार्यप्रणाली
जीवन पर एक दृष्टिकोण :–
र्इश्वर के हाथों में स्वयं को आत्मसमर्पण करते हुए अपनी देह इंद्रियों व मस्तिष्क पर पूर्ण संयम निरीक्षण करना। जो कुछ भी आपके जीवन में होगा, शुभ होगा……वहाँ आपके जीवन में सफलता, उपलब्धि एवं समाधि की सहज प्राप्ति होगी।
कार्यदर्शन :-हमारे जीवन का उद्देश्य, अनुशासित कठोर परिश्रम के माध्यम से राष्ट्र-देवता की पूजा करने के लिए गुरु की शक्ति की प्रभुता में आस्था होना हैं, एवं पूर्ण समर्पण,
क्षमता नर्मिम प्रयास व उद्यन (आक्रामकता)के साथ हमारे धार्मिक कार्यो एवं कर्तव्यों का निर्वाहन करना है। इसे सदैव शान्ति से स्वीकार करें। अहंकार से रहित रहना, जो कि ज्ञान, समृद्धि, अभिमान, सिद्धि, सृष्टि, से पूर्ण है। हमारे जीवन की ये सभी उपलब्धियाँ गुरु एवं र्इश्वर की कृपा द्वारा सलाम (शुभ विदार्इ) हैं, यह हमारा कार्य दर्शन है।
पाँच प्रतिज्ञाएँ :–
- र्इश्वर ने मुझे आत्ममोचन व विश्व के कल्याण के लिए चुना है।
- राष्ट्र के लिए सेवा का बहुत ही उदात्त लक्ष्य एवं मानवता की सेवा करने से पूर्व यह जीवन प्राप्त हुआ हैं।
- मैं स्वयं का कभी भी उपेक्षाजनक आकलन नहीं करुँगा।
- मैं अपने जीवन में महान मनोभावों (विचारों) का सार्वकालिक प्रवाह बनाये रखूंगा।
- मैं, मेरे गुरु, र्इश्वर व राष्ट्र के लिए सर्तक व जागरुक रहूंगा।
पाँच प्रतिज्ञाएँ:–
- 100 प्रतिशत मतदान
- 100 प्रतिशत राष्ट्रवादी सोच
- 100 प्रतिशत विदेशी कम्पनियों का कुल बहिष्कार एवं स्वदेशी का पूर्ण समर्थन।
- 100 प्रतिशत देशभक्तियों का संगठन
- 100 प्रतिशत योग के विकास द्वारा स्वस्थ, समृद्ध एवं सुसंस्कृत भारत बनाना-व्यावसायिक भारत।
अच्छे आचरण (चरित्र) के सात मानदंडः–
- शाकाहारी सिद्धान्त
- व्यसन (लत)-मुक्त
- स्वस्थ (निरोग)
- कार्यक्षम (योग्य)
- निष्ठा (समर्पित)
- गैर-राजनीतिक जीवन
- योग्य एवं राष्ट्रीय हित के लिए प्रतिदिन कम से कम दो घंटे के समर्पण की प्रतिबद्धता।
राष्ट्रवाद के सात मानदंडः–
- राष्ट्रवाद
- उद्यम
- पारदर्शकता
- दूरदर्शिता
- मानवतावाद
- आध्यात्मवाद
- मानवता